कविता
समय नहीं है | समय नहीं है |
/ by अभिषेक कुमार
रोज सबेरे उठकर हम ,शुद्ध पवन का स्पर्श पाकर; प्रांगण जाया करते थे ,मंद गति से पैदल चलकर ; मध्य प्रांगण में बैठकर हम , आत्म शांति का अनुभव कर ; मन एकाग्रित करते थे ,पलक झपक कर ,हाथ जोड़ कर ; हाथ फैलाकर , पैर मोड़कर , कमर झुका कर , गर्दन ऊपर कर ; व्यायाम किया […]
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