समाज समलैंगिकता प्रकृति के नियमों के विरूद्घ December 22, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य प्राचीनता और नवीनता दो विरोधी धाराएं नही हैं। समाज की उन्नति के लिए इन दोनों का समन्वय बड़ा आवश्यक है। विज्ञान के नवीन आविष्कारों का और अनुसंधानों का लाभ लेने के लिए हमें सदा नवीनता का समर्थक रहना चाहिए। इसी से सभ्यता का विकास होता है। इसीलिए कालिदास जैसे महाकवि ने अपनी […] Read more » समलैंगिकता प्रकृति के नियमों के विरूद्घ