व्यंग्य रात के व्यापारी रात नै ए जा लिए…. September 1, 2020 / September 1, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ अफसर तो भई अफसर ही होते हैं। उनके मुख से निकला हर वर्ण पत्थर की लकीर की तरह होता है। अब ये उन पर निर्भर है कि वो अपने मातहतों से चाहे मूसे(चूहे) पकड़वाए या उन पर लार टपकाने वाली बिल्ली। कुत्तों की प्रजातियों की गणना करवाये या गधे-घोड़ों की। सांडों की […] Read more » सुराप्रेमियों को गिनने सम्बन्धी पत्र