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व्यंग्य साहित्‍य

सफ़र के हमसफ़र

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माता-पिता और गुरुओ के बाद मुझे बस कंडक्टर ही सबसे प्रेरणास्पद व्यक्तित्व लगता है क्योंकि वो भी तमाम कठिनाईयो के बावजूद आपको हमेशा "आगे बढ़ने" की प्रेरणा देता है। मुझे हमेशा से ही कंडक्टर नाम का व्यक्तित्व असामान्य और अद्भुत लगता रहा है क्योंकि जब रजनीकांत जैसा "महामानव असल ज़िंदगी में "कंडक्टर" की भूमिका निभा चुका हो तो कंडक्टर एक सामान्य व्यक्ति भला कैसे हो सकता है! मेरी राय में कंडक्टर किसी पार्टी हाई-कमान से कम हैसियत नहीं रखता है क्योंकि पार्टी हाई-कमान के बाद कंडक्टर ही एक ऐसा ऐसा व्यक्ति है जो "टिकट"देने में सबसे ज़्यादा आनाकानी करता है। विज्ञान के लिए टच-स्क्रीन पद्धति भले ही नई हो लेकिन कंडक्टर तो सदियो से "टच-पद्धति" का उपयोग कर खचाखच भरी बस में भी किसी भी कोने सेे किसी भी कोने तक पहुँचते रहे है। कंडक्टर के पास समय और "छुट्टे" की हमेशा किल्लत रहती है।

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