कविता हे हिरण्यमयी मां लक्ष्मी November 5, 2021 / November 5, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहे हिरण्यमयी मां लक्ष्मी हिरण सरीखीचपला चंचला चंचलता छोड़करस्वर्ण चांदी बनकर उतरो भारत भू पर! कि गोधन रत्न आभूषण रुप धरोविचरो भारत भूमि पर सत्वर निरंतरइतनी सम्पत्ति संपदा दो विपदा हरो! कि हर भारत जन हो सम्पन्न शुद्धाचरणसबके लोभ मोह लालच मत्सर दुर्गुण हरोभ्रष्टाचार का करो शमन श्री वृद्धि करो! मां श्री लक्ष्मी […] Read more » हे हिरण्यमयी मां लक्ष्मी