कविता ये अस्तपताल नहीं,बूचडखाने हैं April 14, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment ये अस्तपताल नहीं,बूचडखाने हैं जहाँ मरीजो को हलाल किया जाता है एक छोटी सी बिमारी के लिए हजारो रुपया वसूल किया जाता है मर्ज को ठीक से जानने के लिए दसियों टेस्ट तुम करा लीजिये फिर भी मर्ज पता नहीं लगता बस डाक्टर की फीस भर दीजिये कहने को तो अस्तपताल है ये मरीजो की […] Read more » अस्पताल फ़ीस