ये अस्तपताल नहीं,बूचडखाने हैं
जहाँ मरीजो को हलाल किया जाता है
एक छोटी सी बिमारी के लिए
हजारो रुपया वसूल किया जाता है
मर्ज को ठीक से जानने के लिए
दसियों टेस्ट तुम करा लीजिये
फिर भी मर्ज पता नहीं लगता
बस डाक्टर की फीस भर दीजिये
कहने को तो अस्तपताल है
ये मरीजो की आह भरे हुए
खुले आम कमीशन मिलता है
ये कमिशन हाउस बने हुए
ऐसे सभी अस्तपतालों पर
कुछ तो अंकुश कीजिये
इन मौत के बूचड़खानों को
तुरंत इनको बंद कीजिये
आर के रस्तोगी
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