दोहे
2020 की त्रासदी
/ by बीनू भटनागर
छुआछूत का खेल अब,फैला देश विदेशकोरोना मिल जाय कब, बदल बदल कर भेष। सन्नाटा पसरा हुआ,कोरोना शैतान,खाये चमगादढ़ कोउ,जाय कोउ की जान। सन्नाटा गहरा हुआ , भीतर झंझावात। कोरोना का दायरा,उपजाये अवसाद,बेचैनी बढ़़ती रहीं,मैं ढूँढू आल्हाद। सन्नाटे की कैद में, शोर है गिरफ्तार,कोरोना ने रोक दी, जीवन की रफ़्तार। तब्लीगी आतंक का, वार बिना हथियार,यहाँ […]
Read more »