कविता क्योंकि तुम मेरे गुरुवर हो… September 5, 2021 / September 5, 2021 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment ज्ञान की गंगा विचार प्रवाह जिज्ञासापूरक उत्साहवर्धक। अप्राप्य के प्राप्य जीवन प्रकाश स्तम्भ अज्ञान संहारक सत्य-असत्य शोधक। अद्भुत प्रकाशपुंज अज्ञान तमनाशक विधि ज्ञानदाता सर्वग्राही सर्वज्ञ। हे जगतश्रेष्ठ तुम वंदनीय हो पूजनीय हो आराध्य हो क्योंकि तुम मेरे गुरुवर हो। सुशील कुमार ‘नवीन’ Read more » Because you are my master...