कविता आर्त्त गैया की पुकार January 15, 2019 / January 15, 2019 by आलोक पाण्डेय | Leave a Comment _________________ कंपित ! कत्ल की धार खडी ,आर्त्त गायें कह रही –यह देश कैसा है जहाँ हर क्षण गैया कट रही !आर्त्त में प्रतिपल धरा, वीरों की छाती फट रहीयह धरा कैसी है जहाँ हर क्षण ‘अवध्या’ कट रही |आज सांप्रदायिकता के जहर में मार मुझको घोल रहा,सम्मान को तु भूल ,मुझे कसाई को तू […] Read more » cows calling to protect themselves गैया