विविधा अंधेरे में उजाले की दस्तक August 3, 2010 / December 22, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on अंधेरे में उजाले की दस्तक -सतीश सिंह ‘कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता है, जरा तबियत से पत्थर तो उछालो यारों’। इस कथन को सच कर दिखाया है बिहार के सारण जिला में चल रहे सारण रिन्यूबल एनर्जी प्राईवेट लिमिटेड (कंपनी) के चार प्रमोटरों ने। योगेन्द्र प्रसाद, जर्नादन प्रसाद, रमेश कुमार और विवेक गुप्ता ने सन् 2006 […] Read more » Dark अंधेरे
कविता आओ, अंधेरे से हम लड़ें August 4, 2009 / December 27, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on आओ, अंधेरे से हम लड़ें रात कितनी भी अंधेरी – घनी क्यों न हो रात कोख में छिपी होती है उजाले की किरण। कितना भी तुम क्यों न सताओ किसी को- अपने बच्चे को देख उभरती है तुम्हारे चेहरे पर अब भी मुस्कान। अंधेरा- नहीं पहचानने देता है खुद की शक्ल और अंधेरे की उपज तमाम अनबुझी कामनाएं सुरसा की […] Read more » Dark अंधेरे