कविता दशकों पहले गांव से निकला था शहर October 31, 2021 / October 31, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकदशकों पहले गांव से निकला था शहरअपनी खिचड़ी आप पकाने के लिएअपना एक आशियाना बनाने के लिए! पर अबतक कोई अपना बन न सकाअब भी हूं अनजानापन को साथ लिएआत्ममुग्ध होकर जिए खुद के लिए! एक शहर से कटकर दूसरा महानगरआता-जाता रहा हूं स्थानांतरित होकरपद प्रतिष्ठा की चाहत में छूटा घर! क्वार्टर से […] Read more » Decades ago the city came out of the village दशकों पहले गांव से निकला था शहर