लेख वर्ण धर्म और भक्ति : हरि को भजे सो हरि का होई December 28, 2017 / December 28, 2017 by डॉ. चंदन कुमारी | Leave a Comment डॉ. चंदन कुमारी क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर– इन पंचभूतों की समनिर्मिति है समग्र सृष्टि फिर भेद-भाव वाली द्वैतबुद्धि का औचित्य कैसा ! गोस्वामी तुलसीदास के काव्य में वर्णाश्रम धर्म की मर्यादा झलकती है | उस वर्णाश्रम धर्म का मूल स्वरूप मानो आज धूमिल हो गया है और उसके भ्रामक संस्करण को गले लगाकर […] Read more » caste caste Religion and Devotion Devotion Religion धर्म भक्ति वर्ण
धर्म-अध्यात्म ‘भक्ति’ की शक्ति से टूटा था सत्ता का अहं : डॉ कृष्णगोपाल March 10, 2010 / December 24, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on ‘भक्ति’ की शक्ति से टूटा था सत्ता का अहं : डॉ कृष्णगोपाल कोई भी व्यवस्था अपने उद्गम स्थल पर कितनी ही अच्छी क्यों न हो, आगे चलकर विकृत होती है, टूटती है और बिखरती है। तब समाज का विचारवंत वर्ग खड़ा होता है और अव्यवस्था, अराजकता, अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करता है। समाज की प्रकृति स्वभावतः परंपरा और जड़ता-प्रिय होती है। यही जड़त्व समाज को बदलने से […] Read more » Devotion भक्ति