कविता साहित्य
निराशा के गर्त में
/ by डा.सतीश कुमार
डॉ. सतीश कुमार निराशा के गर्त में , डूबे हुए को , आशा की संजीवनी से सींच नवजीवन देना। नाउम्मीदी में डूबी, उनींदी, पथराई आंखों में, आशा की , गिद्ध की आंखों की-सी, चमक पैदा कर देना। हताश, अवाक्, अंधकारपूर्ण भविष्य से, आंखों में आई ढी़ढ़, वाले इंसान को, सुबह की नयी किरण से, उत्साहपूर्ण […]
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