कविता
रूठना मत कभी,हमे मनाना नहीं आता
/ by आर के रस्तोगी
रूठना मत कभी,हमे मनाना नही आता |दूर नही जाना,हमे बुलाना नहीं आता || तुम भूल जाओ हमे,ये तुम्हारी मर्जी |हम क्या करे,हमे भुलाना नहीं आता || स्वपन देखती हो सोकर,कभी जाग कर देखो |मोहब्बत का ख़्वाब,हमे दिखाना नहो आता || मालूम चला,तुमने रात जाग कर काट दी |रात में जागना मत,हमे सुलाना नहीं आता || सोते […]
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