कविता
ईश्वर अनेक हैं,सबके सब नेक हैं
/ by विनय कुमार'विनायक'
–विनय कुमार विनायकईश्वर अनेक हैं,सबके सब नेक हैं,भगवान अनेक हैं,सबके सब एक हैं,देवी-देवता तैंतीस कोटि;प्रकार के हैं,प्रथम देवी-देवता,माता-पिता होते हैं! द्वितीय देवता गुरु हैं, ग्रंथ है!बिन गुरु, बिना ग्रंथ ज्ञान होता नहीं!अगले देवी-देवता सभी पराई नारी माता,नारी का रूप अनेक हैं, मां व मातृवत पर दारेषु,मासी,काकी, मामी,फूफीऔर बहन, बेटी, भगिनी, सुत नारी,सबके सब परम पूज्य […]
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