कविता साहित्य
तुम जलाते रहे,मै जलती रही
/ by आर के रस्तोगी
आर के रस्तोगी तुम जलाते रहे,मै जलती रही | बिन आग के ही,मै जलती रही || तुम यकीन देते रहे,मै करती रही | धोखा खाया तो,हाथ मलती रही || वादा मुझसे किया,शादी और से की | ये बात जिन्दगी में,मुझे खलती रही || तुम वादा करते रहे,और मुकरते रहे | धीरे धीरे पैरो की जमीं […]
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