गजल हिंदी गजल/मुक्तिका May 24, 2019 / May 24, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment गले मिल के गला काट रहें हैं। रहनुमा देश को बाँट रहे हैं।। अवसादी घेरे हैं आस पास, चौंसठ घड़ी पहर आठ रहे हैं। आधुनिक युग का देखा हर बशर, बनते सदैव वे काठ रहे हैं। हैं दलों के बीच खाइयाँ बहुत, खाइयों को हमीं पाट रहे हैं। उनका इरादा कभी न नेक था, इज़्तिराब […] Read more » gajal