गजल साहित्य गज़ल ; जंग लगे हथियारों में – सत्येंद्र गुप्ता January 28, 2012 / January 28, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment जंग लगे हथियारों में अब नई धार लगानी है नये अंदाज़ में वन्दे-मातरम की आवाज़ सुनानी है। नहीं खेलने देंगे किसी को हम अपने सम्मान से भ्रष्टाचार की होली भी तो हमको ही जलानी है। सशक्त और समर्द्ध राष्ट्र अपना हमें बनाना है इसके लिए हम को कोई नई चाल अपनानी है। घोटालों का ताना […] Read more » gazal Gazalen गज़ल
गजल गजल:मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं December 15, 2011 / December 15, 2011 by सत्येन्द्र गुप्ता | 1 Comment on गजल:मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं मुद्दत से हम खुद को बचाने में लगे हैं। कुँए का पानी रास आया नहीं जिनको वो गाँव छोड़ के शहर जाने में लगे हैं। हमें दोस्ती निभाते सदियाँ गुज़र गई वो दोस्ती के दुखड़े सुनाने में लगे हैं। बात का खुलासा होता भी तो कैसे सब […] Read more » gazal Satyendra Gupta गजल सत्येंद्र गुप्ता