गजल साहित्य गज़ल ; जंग लगे हथियारों में – सत्येंद्र गुप्ता January 28, 2012 / January 28, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment जंग लगे हथियारों में अब नई धार लगानी है नये अंदाज़ में वन्दे-मातरम की आवाज़ सुनानी है। नहीं खेलने देंगे किसी को हम अपने सम्मान से भ्रष्टाचार की होली भी तो हमको ही जलानी है। सशक्त और समर्द्ध राष्ट्र अपना हमें बनाना है इसके लिए हम को कोई नई चाल अपनानी है। घोटालों का ताना […] Read more » gazal Gazalen गज़ल