विविधा क्या, हमारा नामोऽनिशां मिट जाएगा February 5, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 1 Comment on क्या, हमारा नामोऽनिशां मिट जाएगा -डॉ. मधुसूदन – कुटुम्ब संस्था की समाप्ति ही, यूनान और रोम की संस्कृतियां मिटाने का एक मूल (?) कारण माना जाता है। यदि हम भी उसी मार्ग पर चलेतो फिर हमारा नामो-निशां भी अवश्य मिट जाएगा। आज-कल भारत में, बलात्कार के समाचार कुछ अधिक पढ़ रहा हूं, इसलिए, विचारकों और हितैषियों के समक्ष अमेरिका […] Read more » indian culture and civilisation क्या हमारा नामोऽनिशां मिट जाएगा
कला-संस्कृति भारतीय सभ्यता-संस्कृति का मतलब नहीं बदला जा सकता January 29, 2014 / January 29, 2014 by आलोक कुमार | 1 Comment on भारतीय सभ्यता-संस्कृति का मतलब नहीं बदला जा सकता -आलोक कुमार- भारतीय संविधान में जिस सेकुलरिज़्म (धर्मनिरपेक्षता) शब्द की व्याख्या है- उसका मूल अर्थ “सर्वधर्म समभाव” के रूप में ग्रहण किया गया था, लेकिन नेहरू परिवार द्वारा शुरू की गई मुस्लिम तुष्टीकरण की रुग्ण – राजनीति ने इस शब्द के मायने ‘एक धर्म विशेष को अपमानित करके दूसरे धर्म विशेष को खुश करना’ […] Read more » indian culture and civilisation भारतीय सभ्यता-संस्कृति का मतलब नहीं बदला जा सकता