विश्ववार्ता भारत में यूरोपीय निरंकुशशाही के प्रतिवाद में कार्ल मार्क्स September 9, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 6 Comments on भारत में यूरोपीय निरंकुशशाही के प्रतिवाद में कार्ल मार्क्स -जगदीश्वर चतुर्वेदी भारत में इन दिनों एक ऐसा प्रचारकवर्ग पैदा हुआ है जो आए दिन मार्क्स -एंगेल्स और समाजवाद को गाली देता रहता है। मार्क्स की समझ को खारिज करता रहता है। इनमें से ज्यादातर अज्ञान के मारे हैं। वे सुनी-सुनाई बातों के आधार पर मार्क्स-एंगेल्स के बारे में बातें करते हैं। जो शिक्षित हैं […] Read more » Karl Marx कार्ल मार्क्स
राजनीति जन्मदिन पर विशेष – कार्ल मार्क्स की लोकप्रियता का रहस्य May 5, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on जन्मदिन पर विशेष – कार्ल मार्क्स की लोकप्रियता का रहस्य ( 5 मई 1818 – 14 मार्च 1883) कार्ल मार्क्स का आज जन्मदिन है। यह ऐसे मनीषी का जन्मदिन है जो आज भी दुनिया के वंचितों का कण्ठहार बना हुआ है। आज भी मार्क्स की लिखी ‘पूंजी‘ दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब है। आज भी पूंजीवाद और शोषण का कोई भी विमर्श मार्क्स […] Read more » Karl Marx कार्ल मार्क्स
आलोचना कार्ल मार्क्स के बहाने रामचरित मानस की यात्रा April 27, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 4 Comments on कार्ल मार्क्स के बहाने रामचरित मानस की यात्रा मार्क्सवादी नजरिए से प्राचीन साहित्य की यह सार्वभौम विशेषता है कि इसमें मनुष्य के उच्चतर गुणों का सबसे सुंदर वर्णन मिलता है। उच्चतर गुणों के साथ ही साथ मानवीय धूर्तताओं, कांइयापन और वैचारिक कट्टरता के भी दर्शन होते हैं। देवता की सत्ता के बारे में विविधतापूर्ण अभिव्यक्ति मिलती है। प्राचीन साहित्य की महान् कालजयी रचनाएं […] Read more » Karl Marx कार्ल मार्क्स रामचरितमानस