कविता शब्दों की कथा September 4, 2012 / September 4, 2012 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment अदभुत थी कथा और कथनीय था कथन सुन रहे थे सभी वहाँ रूचि लेकर. शाखों और पत्तों पर यहाँ वहाँ अटक जाते थे विचार. वातावरण हो रहा था कथामय और चल रहा था साथ साथ कथा के लगभग एकसार.. शब्द थे जो उसमे सभी भीगे भीगे से अपने अर्थों के कपड़ो को चिपकाएँ हुए थे […] Read more » kavita by praveen gugnani