कविता कविता-भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा,-विजय कुमार March 25, 2012 / March 25, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on कविता-भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा,-विजय कुमार भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा, रवि ने किया दूर ,जग का दुःख भरा अन्धकार ; किरणों ने बिछाया जाल ,स्वर्णिम और मधुर अश्व खींच रहें है रविरथ को अपनी मंजिल की ओर ; तू भी हे मानव , जीवन रूपी रथ का सार्थ बन जा ! भोर भई मनुज अब तो तू […] Read more » kavita by vijay kumar sappati