कविता रंगीन पतंगें February 8, 2010 / December 25, 2011 by ए. आर. अल्वी | Leave a Comment अच्छी लगती थीं वो सब रंगीन पतंगें काली नीली पीली भूरी लाल पतंगें कुछ सजी हुई सी मेलों में कुछ टंगी हुई बाज़ारों में कुछ फंसी हुई सी तारों में कुछ उलझी नीम की डालों में उस नील गगन की छाओं में सावन की मस्त बहारों में कुछ कटी हुई कुछ लुटी हुई पर थीं […] Read more » Kites पतंग