कविता सात प्रेम कविताएँ February 14, 2011 / December 15, 2011 by सतीश सिंह | 4 Comments on सात प्रेम कविताएँ 1 चुपके से मैं तो चाहता था सदा शिशु बना रहना इसीलिए मैंने कभी नहीं बुलाया जवानी को फिर भी वह चली आई चुपके से जैसे चला आता है प्रेम हमारे जीवन में अनजाने ही चुपके से 2 प्रथम प्रेम इंसान को कितना कुछ बदल देता है प्रथम प्रेम उमंग और उत्साह लिए लौट जाता […] Read more » Love Poems प्रेम कविताएँ
कविता सतीश सिंह की पाँच प्रेम कविताएं December 5, 2009 / December 25, 2011 by सतीश सिंह | 3 Comments on सतीश सिंह की पाँच प्रेम कविताएं 1- चुपके से मैं तो चाहता था सदा शिशु बना रहना इसीलिए मैंने कभी नहीं बुलाया जवानी को फिर भी वह चली आई चुपके से जैसे चला आता है प्रेम हमारे जीवन में अनजाने ही चुपके से। ———— 2. याद वैशाख के दोपहर में इस तरह कभी छांह नहीं आती प्यासी धरती की प्यास बुझाने […] Read more » Love Poems प्रेम कविताएं