साहित्य मार्कण्डेय : जिनके पास अंतर को पढ़ लेने की एक्सरे जैसी आंखें थी May 14, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -सरला माहेश्वरी पिछले वर्ष दो अक्तुबर को पिताजी हमें छोड़ कर चले गये। पिताजी की शब्दावली में, शहरीले जंगल में सांसों की हलचल अचानक थम सी गयी। कोलाहल के आंगन में जैसे सन्नाटा पसर गया। इस सन्नाटे को कोई कैसे स्वराए? किससे बात करे एकाकी मन ? सागर जैसा एकाकीपन, नीले जल सा खारा तन–मन, […] Read more » Markanday मार्कण्डेय