लेख प्रभुजी, वे चाकू हम खरबूजा July 22, 2019 / July 22, 2019 by विजय कुमार | Leave a Comment नाटक देखना किसे अच्छा नहीं लगता। गीत और संगीत, हास्य और रुदन, व्यंग्य और करुणा से लिपटे डायलाॅगों के साथ अभिनय का सामूहिक रूप यानि नाटक। कई नाटक तो इतने प्रभावी होते हैं कि बीच में से उठने का मन ही नहीं करता। नाटक में जितने लोग परदे के आगे होते हैं, उससे अधिक परदे […] Read more » knife muskmelon writing