संगीत लोक नाट्य कलाकारों का दर्द, बिना पैसे जिंदगी बन गई तमाशा January 7, 2021 / January 7, 2021 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment शिरीष खरे पुणे, महाराष्ट्र “मैं अपने दोनों पैरों में पांच-पांच किलो के घुंघरू बांधता था और गले में ढोलकी लटकाकर जब मंच पर बजाना शुरू करता था तो शरीर का रोम-रोम खिल उठता था। अब ऐसे पुराने ख्यालों को सोच-सोचकर रात बीत जाती है। कानों में पब्लिक की सीटियां गूंजती हैं। उनकी फरमाइशों को मन ही […] Read more » life becomes a spectacle without money Pain of folk theater artists लोक नाट्य कलाकारों का दर्द