कविता खुशियों के कुछ पलों के लिए October 3, 2012 / October 3, 2012 by बलबीर राणा | Leave a Comment बलबीर राणा “भैजी” खुशियों के कुछ पलों के लिए घोंसले में चहकता है पंछी पंखो के बाहुपाश में समेटता चमन को । चोंच टकराता घरोंदे के ओर- छोर, उमंग ढूंढता जीतना चाहता अपने मौन को । मस्तमंगल धुन में, संसार के पराभव को गाना चाहता खुशी की व्यंजना में प्रेम का शब्दावरण पहनाना चाहता। क्रूर […] Read more » poem by balbir rana
कविता ऊसर जीजिविषा और वो August 26, 2012 / August 26, 2012 by बलबीर राणा | Leave a Comment बलबीर राणा भैजी सुनशान स्याह रात बैठा वह प्रहरी । अन्धयारे में आँख विछाये] उस अन्धकार को ढूंढता जो माँ के अस्तित्व को ध्वस्त करने को आतुर। यकायक सचेत हाsती निगाहें पलकें बिचरण करती] खोजती हर उस शाये और आहट को जो कहर ना बन जाये मातृभूमी पर। उसके दर्द की कोई सीमा नहीं] सीमा […] Read more » poem by balbir rana ऊसर जीजिविषा
कविता राजनीति तेरा चेहरा August 18, 2012 / August 18, 2012 by बलबीर राणा | Leave a Comment बलबीर राणा “भैजी” राजनीति तेरा चेहरा कितना बदल गया जन हित छोड स्वहित पर टिक गया राज नेता राज के लिये नहीं केवल ताज पहनने के लिये होते हैं देश प्रेम में महानुभाव देशद्रोहियों को पालते हैं विकाश की परपाटी को भ्रष्टाचार से पोतते हैं राजनीति तेरा चेहरा कितना बदल गया जन हित छोड […] Read more » poem by balbir rana राजनीति तेरा चेहरा
कविता कविता:चोराहे पर खड़ा हूँ-बलबीर राणा July 26, 2012 / July 26, 2012 by बलबीर राणा | Leave a Comment किधर जाऊं चोराहे पर खड़ा हूँ सुगम मार्ग कोई सूझता नहीं सरल राह कोई दिखता नहीं कौन है हमसफ़र आवाज कोई देता नहीं किधर जाऊं चोराहे पर खड़ा हूँ इस पार और भीड़ भडाका उस पार सूनापन एक और शमशान डरावन एक और गर्त में जाने का दर डर लगता किधर जाऊं चोराहे पर […] Read more » :चोराहे पर खड़ा हूँ-बलबीर राणा poem by balbir rana कविता:चोराहे पर खड़ा हूँ कविता:चोराहे पर खड़ा हूँ-बलबीर राणा
कविता कविता:अमानुष बना कैसे July 25, 2012 / July 25, 2012 by बलबीर राणा | 1 Comment on कविता:अमानुष बना कैसे बलबीर राणा मा ने प्यार दिया पिता ने दुलार भाई ने साथ दिया बहन ने आभार अमानुष बना कैसे समाज ने एकतादी जाती ने अपनापन धर्म ने सतमार्ग दिया वेद पुराण कुरान बाईबल ने मानवता फिर अमानुष बना कैसे रीfत रिवाजों ने अनुसरण दिया इतिहास ने पुनरावृति गुरु ने ज्ञान दिया ग्रंथों […] Read more » poem by balbir rana कविता:अमानुष बना कैसे