कविता चाँदनी June 10, 2013 / June 10, 2013 by बीनू भटनागर | 1 Comment on चाँदनी धूँधट हटाकर बादलों का चाँद ने, धरती को देखा तो लगी वो झूमने, खिले हैं फूल और छिटकी हुई है चाँदनी, पवन के वेग से उड़ती हुई है औढ़नी। सुरीली तान छेड़ी बाँसुरी पर, सजे सपने पलक पालकी पर, झंकार वीणा की मधुर है रागिनी, ढोल की थाप पर है लय बाँधनी। […] Read more » poem by binu bhatnagar ji चाँदनी