कविता लाखो घर बर्बाद हो गये इस दहेज़ की बोली में , December 8, 2012 / December 8, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment लाखो घर बर्बाद हो गये इस दहेज़ की बोली में , अर्थी चड़ी बहुत कन्याये बैठ न पाई डोली में , कितनो ने अपनी कन्यायो के पीले हाथ कराने में कहाँ कहाँ तक मस्तक टेकें आती शर्म बताने में , जिस पर बीती वही जानता ,शब्द नहीं है कहने को , कितनो ने बेचें […] Read more » poem by manish jaiswal लाखो घर बर्बाद हो गये इस दहेज़ की बोली में