कविता साहित्य कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 14, 2012 / February 14, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव एक दिवस बिल्ली रानी ने सब चूहों को बुलवाया ढीले ढाले उन चूहों को बड़े प्रेम से समझाया| अपने संबोधन में बोली मरे मरे क्यों रहते हो इंसानों के जुर्म इस तरह क्यों सहते हो डरते हो। गेहूं चावल दाल सरीखे टानिक घर में भरे पड़े क्यों जूठन चाटा करते हो खाते खाने […] Read more » famous poems poem Poem by Prabhudayal shrivastav Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता