कविता चंद शब्दों के अंश May 4, 2013 / May 4, 2013 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment कुछ कहानियां और किस्से गाँव से बाहर के हिस्से में पुरानें बड़े दरख्तों पर टंगे हुए. कुछ कानों और आँखों में कही बातें जो थी किसी प्रकार कोमल स्निग्ध पत्तों पर टिकी और चिपकी हुई और चंद शब्दों के अंश जो टहनियों पर बचा रहें थे अपना अस्तित्व. यही कुछ तो था जो […] Read more » poem by praveen gugnani चंद शब्दों के अंश