कविता साहित्य कलयुगी कन्हैया March 14, 2016 by शकुन्तला बहादुर | 3 Comments on कलयुगी कन्हैया नाम “कन्हैया” पाकर समझा, मैं हूँ कृष्णकन्हैया । नहीं समझ पाया ले डूबेगा , निज जीवन-नैया ।। ” कान्हा ने जब उठा लिया था, गोवर्धन पर्वत को । मैं भी अब उखाड़ फेकूँगा ,इस मोदी शासन को ।।” जैसे क्षमा किये कान्हा ने , दुष्ट वचन शिशुपाल के । मोदी भी हैं क्षमा कर रहे, […] Read more » Poem by Shakuntala Bahadur poem on kanhaiya kumar JNU कन्हैया कलयुगी कन्हैया
कविता साहित्य कैलिफ़ोर्निया में हिमपात March 11, 2016 by शकुन्तला बहादुर | 8 Comments on कैलिफ़ोर्निया में हिमपात टाहो झील पर – ************* हिमाच्छादित पर्वत-श्रेणी , शैलशिखर संग शोभित थी । ओढ़ रुपहली चूनर मानो , वधू सदृश वह गर्वित थी ं।। ऊपर नभ का था वितान और, पवन झकोरे मंगल गाते । खड़े संतरी से थे तरुवर , मानो थे पहरा देते ।। उत्सव सा था सजा हुआ , जो देख प्रकृति […] Read more » Poem by Shakuntala Bahadur कैलिफ़ोर्निया में हिमपात