कविता दिल्ली सल्तनत December 4, 2020 / December 4, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment –विनय कुमार विनायकऐ गोरी! मुहम्मद गोरी!ग्यारह सौ बेरानबे ईस्वी में‘तराईन में ‘गुल’ ‘खिला’ ‘तु’ ‘से’ ‘लो’दिल्ली में सल्तनत स्थापित कर ली(गुलाम-खिल्जी-तुगलक-सैयद-लोदी)ऐ गोरी ! मुहम्मद गोरी!पर तुम्हें कहां था कोई प्यारामाता-पिता, सुत-सुता औरबहन-भ्राता कहां किसी से नातासिवा एक कुत्बुद्दीन ऐबकतुर्की नस्ल का गुलाम तुम्हें प्रिय थावही तुम्हारा अधिकारी !दिल्ली पति पृथ्वी राज चौहान को धूल चटाकरकुत्बुद्दीन […] Read more » poem on delhi sultanate दिल्ली सल्तनत