कविता पिता July 5, 2012 / July 5, 2012 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा वह तुम्हारा पिता ही है जिसने — तुन्हें अपनी बाहों में उठाकर हृदय से लगाया था, जब तुम इस पृथ्वी पर आए थे; उंगली पकड़ाकर चलना सिखाया था, जब तुम लड़खड़ाए थे. वही है वह, जो सदा तुम्हें प्रोत्साहित करता है, तुम्हारे सारे सत्प्रयासों को दिल से सराहता है, कोई भी […] Read more » poem on father