कविता मिथिला July 8, 2020 / July 8, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment हम प्रेमी पान मखान और आम केभगवती भी जहाँ अवतरित हुईंहम वासी हैं उस मिथिला धाम के संतानों को जगाने मिथिला की माएँसूर्योदय से पूर्व गाती हैं प्रभातीसुनाकर कहानियाँ ज्ञानवर्धकमिथिला की दादी बच्चों को सुलाती प्रतिभा जन्म लेती है यहाँ परकला और सौंदर्य का संसार हैदिखती यहाँ प्रेम की पराकाष्ठाविश्व प्रसिद्ध हर त्योहार है संस्कारों […] Read more » poem on mithila मिथिला