बच्चों का पन्ना सपने-प्रभुदयाल श्रीवास्तव September 20, 2012 / September 25, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment व्यर्थ रात सूनी आँखों में, बहुत देर तक सोकर आये| सुबह सुबह बिस्तर से उठकर सपने बहुत देर पछताये| यदि रात पर्वत पर होते, तारों का आकाश देखते| निविड़ निशा के स्पंदन को, दोनों हाथों से समेटते| यदि किसी नदिया के तट पर, बनकर रेत पड़े रह जाते| लहरें आतीं हमसे मिलने, हम लहरों से […] Read more » poemfor kids