कविता
बीनू भटनागर की कविताएं
/ by बीनू भटनागर
कंचनचंघा प्रथम आरुषि सूर्य की, कंचनचंघा पर पड़ी तो, चाँदी के पर्वत को, सोने का कर गई। सूर्योदय का दृश्य देख, टाइगर हिल पर खड़े हम, ठंड व तेज़ हवा के प्रकोप को, सहज ही सह गये। विश्व की तृतीय ऊँची चोटी, पवित्र चोटी पर उदित सूर्य सुनहरी उजाला देखकर, मंत्रमुग्ध हम रह गये। एक […]
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