कविता कविता:जांच आयोग-प्रभुदयाल श्रीवास्तव March 1, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बंद कमरे में वक्त भूख की आग में जलती अतड़ियों से जुर्म करवाता है अपराधी को थाने कठघरे वकील गवाह जज दलील सत्य उगलवाती गीता रोती हुई पत्नी सीता मुंशियों और बाबुओं के रास्ते फाँसी के फंदे तक पहुंचाता है धरती का इंसान आकाश में लटक जाता है सफेड पोश भगवान दिन दहाड़े लूटता […] Read more » poems by Prabhudayal Srivastav कविता कवितायें