आलोचना आ केहू खराब नइखे, सबे ठीक बा… May 8, 2012 / May 8, 2012 by संजय स्वदेश | 1 Comment on आ केहू खराब नइखे, सबे ठीक बा… संजय स्वदेश जब भी किसी राज्य की सरकार बदलती है, समाज की आबो-हवा करवट लेती है। भले ही इस करवट से कांटे चुभे या मखमली गद्दे सा अहसास हो, परिर्वतन स्वाभाविक है। बिहार में नीतीश से पहले राजद का शासन था। जब लालू प्रसाद का शायन काल आया था तब भी कमोबेश वैसे ही सकारात्मक […] Read more » police and humanity police and society
समाज पुलिस को मानवतावादी बनाने की जरूरत March 31, 2012 / July 22, 2012 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on पुलिस को मानवतावादी बनाने की जरूरत प्रमोद भार्गव उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद व्यवस्था परिवर्तन के संकेत मिलने लगे हैं। इसी सिलसिले में प्रदेश के कुछ बड़े शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की तैयारी की जाने लगी है लेकिन क्या पदों में नाम तब्दीली से बदलाव आ जाएगा ? दरअसल पुलिस में आमूलचूल परिवर्तन के लिए बुनियादी […] Read more » police and humanity पुलिस