आर्थिकी आंकड़ों की बाजीगरी में पिसता गरीब May 10, 2012 / May 10, 2012 by राजीव गुप्ता | 2 Comments on आंकड़ों की बाजीगरी में पिसता गरीब राजीव गुप्ता आज़ादी के इतने वर्षो बाद भी भारत में गरीबी एक अभिशाप के रूप में मौजूद है अगर ऐसा मान लिया जाय तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी ! कम से कम नैशनल सैंपल सर्वे 2009-10 के आंकड़ों से तो ऐसे ही लगता है ! इसके मुताबिक अगर जीने के लिए जरूरी “मासिक खर्च” को […] Read more » poor and poverty