महिला-जगत स्त्री की मानवीय पहचान के लिए खतरा है पोर्नोग्राफी July 9, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on स्त्री की मानवीय पहचान के लिए खतरा है पोर्नोग्राफी -जगदीश्वर चतुर्वेदी पोर्नोग्राफी के विरोध में सशक्त आवाज के तौर पर आंद्रिया द्रोकिन का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। पोर्नोग्राफी की जो लोग आए दिन हिमायत करते रहते हैं वे उसमें निहित भेदभाव,नस्लीयचेतना और स्त्रीविरोधी नजरिए की उपेक्षा करते हैं। उनके लिए आंद्रिया के विचार आंखे खोलने वाले हैं। आंद्रिया ने अपने निबंध ‘भाषा, समानता […] Read more » Pornography पोर्नोग्राफी
विविधा स्त्री की गुलामी का वातावरण है पोर्नोग्राफी March 24, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on स्त्री की गुलामी का वातावरण है पोर्नोग्राफी अनेक अर्थों में पोर्न नैतिक मानदण्डों का उल्लंघन करती है। लोगों को स्वायत्त बनाती है। जिन विचारकों ने मालिक-गुलाम के संबंधों के नजरिए से पोर्न पर विचार किया है उनमें एलिसन स्टीयर का नाम प्रमुख है। स्टीयर का मानना है पोर्न में आमतौर पर औरत अन्य के लिए वस्तु या ऑब्जेक्ट होती है। पोर्नोग्राफी में […] Read more » Pornography पोर्नोग्राफी
विविधा पोर्नोग्राफी के धंधे में कारपोरेट घरानों की बल्ले-बल्ले March 18, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment पोर्न संस्कृति का कारपोरेट संस्कृति के साथ गहरा याराना है। कारपोरेट संस्कृति का जो लोग रात-दिन गीत गाते रहते हैं, वे इसके सांस्कृतिक आयाम पर कभी बात नहीं करते। कारपोरेट संस्कृति के विकास में पोर्न संस्कृति का महत्वपूर्ण अवदान है। आंकड़े बताते हैं कि कारपोरेट संस्कृति के माध्यम से पोर्न ने बहुत मोटा कारोबार किया […] Read more » Pornography पोर्नोग्राफी