विविधा राजधर्म से बड़ा है बौद्धिकधर्म January 17, 2011 / December 16, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी बुद्धिजीवी सत्य भक्त होता है। राष्ट्र,राष्ट्रीयता, दल,विचारधारा आदि का भक्त नहीं होता। सत्य के प्रति आग्रह उसे ज्यादा से ज्यादा मानवीय और संवेदनशील बनाता है। सत्य और मानवता की द्वंद्वात्मक प्रक्रिया में तपकर ही बुद्धिजीवी अपने सामाजिक अनुभवों को सृजित करता है। कालजयी रचनाएं दे पाता है। जनता के बृहत्तर तबकों की सेवा […] Read more » Rajdharma राजधर्म