कविता रिश्ते November 30, 2022 / November 30, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment खामोशियों से रुकसत हो जाते हैं हर रिश्ते,अगर चुपचाप रहोगे गूंगे हो जाते है हर रिश्ते।कभी कभी बेमतलब ही बात कर लिया करो,बने रहेंगे हमेशा सदा तुम्हारे अपने हर रिश्ते।। बनाने से बन जाते हैं इस दुनिया में रिश्ते,बिगाड़ने से बिगड़ जाते हैं दुनिया में रिश्ते।कौन कहता है ऊपर से बनकर आते हैं रिश्ते,सच्चाई ये […] Read more » relations
समाज संबंध और स्वार्थ April 12, 2012 / April 12, 2012 by शशांक शेखर | Leave a Comment शशांक शेखर मानवता में संबंधो के विशेष असर हुआ है। एक- दूसरे को आपस में जोड़ने में संबंध ने व्यापक पृष्ठभूमि तैयार की है। वहीं यह भी एक कटु सत्य है कि संबंधों के जुड़ाव में स्वार्थ की भूमिका कभी सामने तो कभी परदे के पीछे रहती है। सबसे मधुर संबंध मां का अपने बच्चों […] Read more » relations संबंध स्वार्थ