कविता
गरज रहे है,बरस रहे है,सावन के ये बादल
/ by आर के रस्तोगी
आर के रस्तोगी गरज रहे है,बरस रहे है, सावन के ये बादल | बरस रहे है मेरे नैना,आये नहीं मेरे साजन || चारो तरफ छाया अँधेरा,दामिनी दमक रही है | ये बैरन भी मुझको,इतना क्यों डरा रही है ? किससे कहूँ,कैसे कहूँ,मन की ये अपनी बात | संग सहेली चली गयी, उनका नहीं भी साथ […]
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