व्यंग्य प्रेमचंद आउट !! March 5, 2012 / March 5, 2012 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम मेरे पास रहने को कमरा नहीं है। किराए के स्टोर के साथ लगते अपने गुसलखाने को मैंने लेखकीय प्रेम के चलते लेखक गृह बना रखा है ताकि कोर्इ भी भूला सूला लेखक यहां आकर रात बरात चैन से रह सके। मैं वैसे कोशिश करता हूं कि पुराने सुराने लेखक ही यहां आकर रहें […] Read more » satire by AshokGautam प्रेमचंद आउट