कविता चुनाव राजनीति सबकी अपनी चाल April 12, 2014 by हिमकर श्याम | Leave a Comment -हिमकर श्याम- आफ़त में है ज़िन्दगी, उलझे हैं हालात। कैसा यह जनतंत्र है, जहां न जन की बात।। नेता जी हैं मौज में, जनता भूखी सोय। झूठे वादे सब करें, कष्ट हरे ना कोय।। हंसी-ठिठोली है कहीं, कहीं बहे है नीर। महंगाई की मार से, टूट रहा है धीर।। मौसम देख चुनाव का, उमड़ा जन […] Read more » satiric poem on election सबकी अपनी चाल
कविता चुनाव राजनीति चुनावी मौसम April 5, 2014 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment आज कल तो जैसे हर सू है त्यौहार का मौसम वादों और उम्मीदों का इक खुशगवार सा मौसम रौशन तकरीरो की जवां अंगड़ाइयां सियासी तब्बसुम की ये अठ्ठखेलियां आबे गौहर सी सियासती शोखियां बाग़े उम्मीद की गुलनारी मस्तियां सियासी महक से सरोबार हर कोना न कही मातम न किसी बात का रोना लगता ही नहीं […] Read more » election season satiric poem on election चुनावी मौसम