कविता सतीश सिंह की कविताएं November 30, 2009 / December 25, 2011 by सतीश सिंह | Leave a Comment आम आदमी राहु और केतु के पाश में जकड़ा रहता है हमेशा कभी नहीं मिल पाता अपनी मंज़िल से भीड़ में भी रहता है नितांत अकेला भूल से भी साहस नहीं कर पाता है ख्वाब देखने की संगीत की सुरीली लहरियां लगती है उसे बेसूरी हर रास्ते में ढूंढता […] Read more » Satish Singh poem सतीश सिंह